Saturday, November 14, 2009

Blood & Tears in the Kashmir Valley

अ़ब कोई आँसू बहता नही हैं आँखोंसे
सूख गए हैं सारे आँसू जाने कबसे

फ़िर कही गोली चली हैं कल शायद
दिन भी आजकल डरने लगे है रातोंसे

चाँद भी आजकल रक्तिमसा हैं कुछ कुछ यहाँ
छलनी हैं उसका भी सिना गोलियों की बौछारोसे

बाते न करना मुझसे अ़ब कोई इतिहास की
फ़िर कोई नौजवाँ बिछड़ गया हैं राहोंसे